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281-अकबरपुर : सपा, बसपा और भाजपा प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दाँव पर


अम्बेडकरनगर। 3 लाख से अधिक मतदाताओं वाले विधानसभा क्षेत्र 281 अकबरपुर सीट पर सपा, बसपा और भाजपा के तीन दिग्गज प्रत्याशियों ने हर हाल में चुनाव जीतने के लिए कमर कस लिया है और लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर जन-जन से सम्पर्क कर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं। यहाँ बता दिया जाए कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राममूर्ति वर्मा जो प्रदेश सरकार की काबीना में दुग्ध विकास मंत्री हैं के अलावा बसपा से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व काबीना मंत्री राम अचल राजभर व नपाप अकबरपुर अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश वर्मा भाजपा कैण्डीडेट के रूप में चुनाव मैदान में हैं। इन नेताओं/प्रत्याशियों ने महीनों पहले से ही एड़ी का पसीना चोटी करते हुए जनता के बीच जा-जाकर वोट मांगना शुरू कर दिया था, जो अब भी बदस्तूर जारी है। 
नामांकन प्रक्रिया उपरान्त पाँचवंे चरण के विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरकर अपनी किस्मत अजमाने वाले प्रत्याशियों की संख्या अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से कुल 13 है। जिनमें प्रमुख रूप से सपा, बसपा और भाजपा प्रत्याशी हैं। खासतौर पर इन्हीं तीनों प्रत्याशियों पर सबका ध्यान केन्द्रित है। इनके बारे में विधानसभा क्षेत्रवासी, राजनैतिक विश्लेषक और पार्टी समर्थक, पदाधिकारी चिन्तन-मंथन करते हुए देखे जा रहे हैं। साथ ही इनको लेकर मतदाताओं में एक अजीब सी जिज्ञासा भी देखी जा रही है।    

यहाँ इन्हीं तीन दिग्गजों के बारे में रेनबोन्यूज जो कुछ भी लिख रहा है उसे पढ़िए और जानिए।

सपा प्रत्याशी राम मूर्ति वर्मा:-

सपा प्रत्याशी राममूर्ति वर्मा अकबरपुर-टाण्डा सड़क मार्ग पर स्थित अरिया बाजार के निकट स्थित गाँव दोहरीपुर के निवासी हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में 281 अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी ने पहली बार राममूर्ति वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा था। इतना ही नहीं चुनाव जीतने के बाद ही उन्हें अखिलेश सरकार के मंत्रिमण्डल में जगह देकर राज्यमंत्री बना दिया गया था। इस जिले में कुर्मी बिरादरी की राजनीति काफी मजबूत मानी जाती है इसलिए बसपा के बड़े नेता लालजी वर्मा के स्थान पर सपा इस सीट से किसी कुर्मी नेता को चुनाव मैदान में उतार कर कुर्मी बिरादरी को साधने की जुगत लगा रही थी। इसीलिए 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही अखिलेश सरकार ने राममूर्ति वर्मा का कद बढ़ाते हुए पहले तो उन्हें राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में अम्बेडकरनगर से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी के आगे कोई नहीं टिक सका अन्ततः राममूर्ति वर्मा चुनाव हार गए। इस बार के चुनाव में पाँच साल तक विधायक/काबीना मंत्री रह चुके सपा प्रत्याशी राम मूर्ति वर्मा के सामने अपनी सीट को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है और ये उसके लिए कटिबद्ध हैं। दिन-रात एक करके 281 अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र के शहरी एवं ग्रामीणांचलों में जाकर मतदाताओं से अपने पक्ष में समर्थन मांग रहे हैं।

बसपा प्रत्याशी राम अचल राजभर:-

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर जो अकबरपुर-बसखारी’-आजमगढ़ सड़क मार्ग के निकट स्थित कुर्की बाजार के पूरब गाँव शेखपुरा के निवासी हैं। इन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 25 वर्ष पहले (वर्ष-1991) बसपा से किया और अकबरपुर से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। बसपा सुप्रीमों मायावती के खासमखास कहे जाने वाले राजभर प्रदेश काबीना में परिवहन मंत्री रहे और काफी शोहरत हासिल किया। मायावती के विश्वासपात्र होने का फल यह रहा कि राम अचल राजभर को बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में राजभर के साहबजादे संजय राजभर को बसपा का टिकट मिला लेकिन संजय चुनाव हार गए। अब इस बार रामअचल राजभर के सामने सपा द्वारा छीनी गई अकबरपुर विधानसभा सीट को वापस प्राप्त करने की चुनौती है। जिसके लिए वे और बसपा के पदाधिकारी, बूथ स्तरीय कार्यकर्ता जी जान से जुटे हुए हैं।

भाजपा प्रत्याशी चन्द्र प्रकाश वर्मा:-

शहजादपुर के निकटवर्ती गाँव सदरपुर के मूल निवासी (वर्तमान में शहजादपुर के) 45 वर्षीय सरल, सौम्य छवि वाले चन्द्र प्रकाश वर्मा जो अकबरपुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष हैं को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी में शामिल होने और वर्तमान तक पार्टी के अर्न्तकलहों से जूझते हुए चन्द्र प्रकाश वर्मा विधानसभा क्षेत्र अकबरपुर में नगर-नगर, डगर-डगर जाकर गहन जनसम्पर्क कर रहे हैं। इनके पार्टी प्रत्याशी बनाये जाने से युवाओं में एक नए जोश का संचार सा हुआ दिखाई पड़ रहा है। अब देखना यह है कि 10 साल तक (दो बार) नपाप अकबरपुर के अध्यक्ष पद पर रहकर कथित लोकप्रिय, सौम्य, मिलनसार छवि वाले प्रत्याशी चन्द्रप्रकाश वर्मा की मेहनत कितना रंग लाती है।

281-अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं के बारे में:-

इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या लगभग 3 लाख है, जिसमें पुरूषों की संख्या 1 लाख 63 हजार और महिलाओं की 1 लाख 41 हजार हैं। जातिगत आधार पर यदि देखा जाए तो अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदाता दलित जाति के हैं, जिनकी संख्या लगभग 70 हजार है, इसके बाद कुर्मी जाति के मतदाताओं की संख्या है जो लगभग 60 हजार है। तीसरे नम्बर पर राजभर जाति के मतदाता हैं जिनकी संख्या लगभग 45 हजार है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 35 हजार व अहीर (यादव) लगभग 22 हजार और ब्राम्हण, क्षत्रिय व अन्य मिलाकर लगभग 35 हजार हैं।

कुछ खास बातें:- 

चूँकि जिस तरह एक ही हांडी में पका हुआ भोजन खाते-खाते लोग ऊब जाते हैं और स्वाद बदलने के लिए वे ढाबों, होटलों एवं अपने रिश्तेदारों के यहाँ मेहमानों बनकर अपनी ऊब मिटाते हैं ठीक उसी तरह अब तक राजनीति में भी देखा गया है। ऊबा हुआ मतदाता समय-समय परिवर्तन चाहता है जिसके फलस्वरूप सरकारें भीं बदलती रहीं हैं। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा की जो मोदी लहर चली उसमें अनेकों वटवृ़क्ष धराशाई हो गए और न जाने कितने रेंड़ लहलहा उठे थे। यदि अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो इस बार के चुनाव में यहाँ कुछ ऐसा संयोग बन गया है कि भाजपा की तरफ सभी जाति के मतदाताओं, नवजवानों, बुजुर्गों, महिलाओं का झुकाव देखा जा रहा है। बगैर आधार मत के (अकबरपुर विस क्षेत्र के संदर्भ में) इस पार्टी की तरफ अभी तक अपनी रूचि दिखाने वाले लोग संख्या बल में जुड़ गए तो सपा और बसपा के लिए यहाँ कड़ी चुनौती हो साबित सकती है। लब्बो-लुआब यह कि 281 अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष देखा जा रहा है जिसमें अन्य किसी पार्टी उम्मीदवार की मजबूत दावेदारी दिखाई नहीं पड़ रही है। यदि कुछ ऐसा ही हुआ तो इस बार भाजपा के लिए अब तक बांझ साबित हुआ अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र उपजाऊ हो सकता है। लेकिन ये सब बातें भविष्य के गर्भ में हैं, जो मतगणना (11 मार्च) उपरान्त ही सामने आएँगी। 

-रीता विश्वकर्मा

पत्रकार/सम्पादक

रेनबोन्यूज 

मो.नं. 8765552676 

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