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राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्टर्ड हुआ फाइट फॉर राइट

साथियों,
जब मैंने फाइट फॉर राइट का गठन कर हक की लड़ाई लड़ने के लिए जागरूकता अभियान छेड़ा तो हमारे सभी साथियों का मुझ पर एक ही दबाव था कि किसी भी तरह से इस संगठन का रजिस्ट्रेशन करा लिया जाए। उनको आशंका थी कि यदि अन्य ने इस नाम से अपने संगठन का रजिस्ट्रेशन करा लिया तो इतना प्रभावशाली नाम हमसे छिन जाएगा। वैसे तो मैं काम में विश्वास रखता हूं पर संगठन में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर फाइट फॉर राइट के रजिस्ट्रेशन के लिए सक्रिय हो गया।
हम लोग संगठन के एजेंडे पर काम भी करते रहे और रजिस्ट्रेशन का प्रयास भी होता रहा। संगठन से जुड़े साथियों और विभिन्न संस्थाओं में अन्याय झेल रहे लोगों को यह जानकर खुशी होगी कि जरूरतमंद लोगों की हक की लड़ाई के लिए गठित किए गए फाइट फॉर राइट का रजिस्ट्रेशन राष्ट्रीय पर हो गया है।
फाइट फॉर राइट जैसे संगठनों की जरूरत देश में इसलिए भी है क्योंकि देश में एक अलग तरह माहौल बन रहा है, जो देश के लिए घातक है। देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा ने स्तरहीन भाषा का इस्तेमाल कर भावनात्मक मुद्दों के सहारे हिन्दू वोटबैंक का ध्रुर्वीकरण किया यह देश के लिए घातक है। मैं इसके लिए सपा, बसपा व कांग्रेस को भी जिम्मेदार मानता हूं। मुस्लिम वोटबैंक को लेकर इन दलों ने इतना उतावलापन दिखाया कि लंबे समय से हिन्दू वोटबैंक के ध्रुर्वीकरण में लगी भाजपा को आम चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव में भी इसका पूरा माहौल और मौका मिल गया।
जो देश बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, अपराध और आतंकवाद जैसी समस्याओं से जूझ रहा हो। बड़े स्तर पर किसान आत्महत्या कर रहे हों मजदूरों के पास काम न हो। शिक्षा के व्यवसायीकरण के चलते बच्चों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा हो। उस देश में यदि मतदान हिन्दू-मुस्लिम पर होने लगे तो समझ लीजिए देश कहां जा रहा है। देश में खत्म हो रही विचारधारा की राजनीति के चलते पूंजीपतियों और बाहुबलियों का देश की सियासत पर कब्जा होता जा रहा है। देशभक्ति का ढिंढोरा पीट रही भाजपा भी इसमें पीचे नहीं है। लोकसभा में 34 फीसद सांसद दागी हैं।
समझौतावादी प्रवृत्ति के चलते लगभग सभी संस्थाओं में शोषण व दमन का खेल चरम पर है। यहां तक जरूरतमंद लोगों की आवाज उठाने का दावा करने वाले मीडिया में तो हाल और भी बुरा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजद प्रिंट मीडिया में मजीठिया नहीं दिया जा रहा है। जो मांग रहे हैं उनका उत्पीड़न किया जा रहा। इस पर भी यदि वे नहीं मान रहे हैं तो नौकरी से ही निकाल दिया जा रहा है। विभिन्न अखबारों से बड़े स्तर पर मीडियाकर्मी निकाल दिए गए हैं। ऐेसे में लोगों को अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए बड़े अभियान की जरूरत है।
भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नये भारत निर्माण की बात कर रहे हों पर मणिपुर और गोवा में जो हो रहा है उससे तो नहीं लगता कि देश में कुछ नया होने जा रहा है। सत्ता जरूर बदल रही है पर व्यवस्था नहीं। आज जरूरत युवाओं को देशभक्त बनाने और लोगों की मरते जा रहे जमीर को जगाने की है। इस काम का बीड़ा फाइट फॉर राइट ने उठाया है और हम लोग यह काम करगे रहेंगे।
हम लोग महात्मा गांधी, डॉ. राम मनोहर लोहिया, सुभाष चंद्र बोस, लोक नायक जयप्रकाश नारायण, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव,  अशफाक उल्ला खां और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारी देने के लिए संकल्पित हैं। युवाओं में इन क्रांतिकारियों के विचार पैदा कर देश को इन जैसे क्रांतिकारी देकर रहेंगे। हम लोग देश में हक की लड़ाई लड़ने के लिए एक क्रांतिकारी माहौल बनाने मे लगे हैं। देश व समाज के हित में अपनी आवाज बुलंद करने वाले हर व्यक्ति को हम फाइट फॉर राइट का बैनर इस्तेमाल का मौका देंगे।
आपका अपना
चरण सिंह राजपूत
राष्ट्रीय अध्यक्ष, फाइट फॉर राइट

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